जिसने ढूंढी राम शिला, उसे 80 हजार जुर्माने का नोटिस मिला

 जिस शिला से अरुण योगिराज ने गढ़ी रामलल्ला की प्रतिमा, कर्णाटक में उसे ढूंढने वाले पर लगा तगड़ा जुर्माना: बंधक रखे पत्नी के आभूषण 

फोटो साभार - न्यूज़ 18
                                                                                            अपनी ढूंढी शिला के साथ श्रीनिवास और शिला से निर्मित प्रतिमा (फोटो साभार - न्यूज़ 18)
श्रीनिवास नटराज ने ढूंढी थी वो शिला 

काले ग्रेनाइट की उसी शिला से बना है रामलल्ला का दिव्य विग्रह 

80 हजार चुकाने को बीवी के जेवर रखे बंधक 

आर्थिक मदद का अब भी है इंतजार

रामलला को मिला महल और श्रीनिवास को नोटिस 

रामलला के दिव्या विग्रह की वो मुस्कराहट करोड़ों रामभक्तों के ह्रदय में स्थान पा चुकी है, रामभक्तों के दिल खोल कर दिए गए दान से मात्र 4 दिन में ही रामलल्ला अरबपति बन चुकें हैं, स्वर्ण और रजत के इतने चढ़ावे आये की देखने वालों ने दांतों तले ऊँगली दबा ली, श्रद्धालुओं का जनसैलाब उस दिव्य विग्रह को देखने के लिए तांते लगाए खड़ा है लेकिन जिस शिला से रामलला के उस विग्रह को आकार मिला है उसे ढूंढने वाला हाथ में जुर्माने का नोटिस थामे दर दर भटक रहा है 

पेशे से छोटे-मोटे ठेकेदार है श्रीनिवास 

ख़बरों की मानें तो हरोहल्ली-गुज्जेगौदानपुरा निवासी श्रीनिवास नटराज पेशे से स्थानीय ठेकेदार हैं।  इन्होने ही रामलला की मूर्ति के लिए शिला ढूंढने जैसा पुनीत कार्य किया था लेकिन अब इन पर अवैध खनन का आरोप लगा कर 80 हजार रुपैये का जुर्माना किया गया है। इन पर आरोप है की खनन की अनुमति लिए बिना और नियमों को ताक पर रख कर इन्होने उत्खनन कार्य किया, जबकि श्रीनिवास के मुताबिक़ हकीकत कुछ और ही है 

दलित किसान रामदास ने किया था संपर्क 

स्थानीय ठेकेदार के तौर पर छोटे मोठे काम करने वाले श्रीनिवास को एक किसान रामदास ने संपर्क किया।  दरअसल रामदास अपनी 2.14 एकड़ जमीन पर जिसपर पत्थरों की भरमार होने के कारण वो कृषि कार्य नहीं कर पा रहे थे वो उसे साफ़ कराना चाहते थे। ताकि वो इस भूमि पर कृषि कार्य कर सकें।  बस इसी काम का ठेका श्रीनिवास नटराज ने ले लिया और इसी क्रम में वो शिला निकाली गयी। बाद में इस शिला के तीन खंड किये गए, जिसमें से एक कृष्ण शिला से रामलला का दिव्य विग्रह निर्मित हुआ जो आज अयोध्या के रामलला मंदिर में प्रतिस्थापित है। 

अरुण योगिराज ने चुनी थी शिला 

विग्रह बनाने के लिए उस शिला का चयन अरुण योगिराज ने स्वयं किया था।  चयन प्रक्रिया और बाकी सारी तैयारी के बाद जब श्रीनिवास अरुण योगिराज को वो शिला सौपने वाले थे उससे पहले ही किसी मुखबिर ने ये खबर खनन विभाग को दे दी। खबर मिलते ही आनन-फानन में श्रीनिवास को जुर्माने की नोटिस थमा दी गयी। स्थानीय  समाचार एजेंसी के मुताबिक़ श्रीनिवास ने अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रख कर इस भारी- भरकम जुर्माने को अदा किया है। 

खुद को बेकसूर बताते हैं श्रीनिवास 

बकौल श्रीनिवास वो बेकसूर हैं और उन्हें मिली सजा का कोई अचित्य नजर नहीं आता।  उनका कहना है की उन्होंने तो सिर्फ जमीन को समतल करने का ठेका लिया था। चट्टानों को साफ़ करने के बाद वो दूसरे कार्य में व्यस्त हो गए लेकिन खान और भूतत्व विभाग ने उन्हें अवैध खनन का दोषी मान कर ये एकतरफा कार्यवाई कर दी। उनकी ढूंढी जिस शिला को आज पूरा देश पूज रहा है, उसे धुंध कर उन्हें क्या मिला ये श्रीनिवास सोच रहे हैं, बावजूद इसके अभी तक श्रीनिवास की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया जिसका उन्हें बेहद अफ़सोस है। 

जिस जमीन से निकली शिला उसका एक हिस्सा किया राम मंदिर के लिए दान 

उधर जिनकी जमीन से वो शिला निकली वो स्वयं दलित किसान है। रामलला के दिव्य विग्रह के दर्शन के बाद किसान रामदास ने स्वयं अपनी जमीन का एक हिस्सा राम मंदिर के निर्माण के लिए दान करने का संकल्प लिया है। रामदास कहते हैं की उनके खेत से निकली शिला को अरुण योगिराज ने खरीदा और उससे रामलला का विग्रह बना इस बात की उन्हें बहुत ख़ुशी है। दरअसल रामदास के खेत से बाद में और भी शिलाखंड निकले जिससे भारत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियां बनाने के लिए ले जाया गया है। 

सुखद संयोग के कारण किया राम मंदिर बनाने का संकल्प 

रामदास कहते हैं की " हमारे पास पहले से ही दक्षिण दिशा में एक मंदिर है, अंजनेय मंदिर, उस मंदिर की मूर्ति को देखने से ऐसा प्रतीत होता है मानों वो उस स्थान को देख रही हो जहां से शिलायें निकली थीं।  ये एक संयोग हो सकता है इसीलिए मैंने उस स्थान पर राम मंदिर बनाने के लिए वो जमीन भगवान् राम को समर्पित करने का निश्चय किया है। वो मंदिर निर्माण के लिए चार गुंटा जमीन दान देने के अपने निश्चय पर अब भी अटल हैं। 

आपको बताते चलें की अयोध्या में विग्रहों के निर्माण के लिए राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तीन मूर्तिकारों को अधिकृत किया था।  तीनों की बनायी मूर्ति के गहन परिक्षण के बाद आखिरकार अरुण योगिराज की बनायी रामलला की प्रतिमा ही प्रतिस्थापन के लिए चयनित हुयी, जिसे स्वयं अपने हाथों से प्रतिष्ठित करके माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गर्भ गृह में स्थापित किया था।