!! भय प्रगट कृपाला !!
टाट से ठाठ में आए रघुराई, हुआ हर्षित जग मुस्काई
वो पल, वो मुहूर्त जिसका विश्व के कोने कोने में बसे रामभक्त पलक पावड़े बिछाये राह तक रहे थे वो शुभ घडी आज आ ही गयी, ना सिर्फ वो घडी आयी बल्कि ऐसी भव्य और दिव्य अनुभूतियों के संग आयी की हर भक्त की आँखें नम हो गयी, हर श्रद्धालुं का गला रुंध गया, हर दर्शनार्थी कृतार्थ हो गया। घडी अमर हो गयी और दर्शक इतिहास हो गए। रामलला के श्रृंगार युक्त विग्रह को देख मानों सबका ह्रदय सम्मोहन के पाश में बांध गया। अधर कंपकंपा उठे और बरबस मुख बोल उठा 'भय प्रगट कृपाला' !!
अयोध्या का भव्य श्री रामलला मंदिर आज साक्षी बना 500 वर्षों के तपस्या के बाद मिले अभूतपूर्व आनंद का। हर क्षेत्र के दिग्गजों की उपस्थिति में श्री राम लला का भव्य प्राणप्रतिष्ठा समारोह आयोजित हुआ जिसमें मुख्य यजमान बने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। रामलला के गर्भगृह में उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस के सरसंघचालक मोहन राव भागवत की गरिमामय उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने प्राणप्रतिष्ठा के विधि विधान पूर्ण किये।
मोहिनी सूरत ने मोह लिया सबका ह्रदय
जिसने भी भगवन श्री रामलला के विग्रह की एक झलक देखी उनकी मोहिनी सूरत का दीवाना हो गया और सबने एक सुर में मूर्तिकार अरुण योगिराज कि कला की भूरी भूरी प्रशंसा कि। रामलला के श्रृंगार के बारें में तरह तरह कि बातें कि जा रही हैं लेकिन आज हम आपको बताएँगे कि रामलला के विग्रह के श्रृंगार में किन किन बहुमूल्य वस्तुओं का उपयोग हुआ है।
मुकुट या किरीट
रामलला के शीश पर जो मुकुट या किरीट है यह उत्तर भारतीय परंपरा का स्वर्ण निर्मित किरीट है। इसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान् सूर्य अंकित हैं। मुकुट के दायीं ओर मोतियों कि सुन्दर लड़ियाँ पिरोयी गयी हैं। मुकुट के अनुरूप ही और उसी डिज़ाइन के अनुरूप भगवन रामलला के कर्ण आभूषण बनाये गए हैं, जिनमें मयूर आकृतियां बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है
कंठा
प्रभु श्री रामलला के गले में अर्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कंठा सुशोभित है, जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और मध्य में सूर्य देव बने हैं। सोने से निर्मित यह कंठा हिरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है। कण्ठे के निचे पन्ने कि लड़ियाँ लगाई गयी हैं।
भगवान का ह्रदय स्थल
रामलला के ह्रदय में कौस्तुभमणि धारण कराई गयी है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। यह शास्त्र विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार ह्रदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं।
पदिक
कंठ से निचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाये गए हार को पदिक कहते हैं जिसका देव अलंकरण में विशेष महत्व है। यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पँचलड़ा है, जिसके निचे एक बड़ा सा अलंकृत पेन्डेन्ट लगाया गया है
वैजयंती या विजयमाल
यह रामलला को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा और स्वर्ण से निर्मित हार है, जिसमें कहीं कहीं माणिक्य लगाए गए हैं, इसे विजय के प्रतिक के रूप में पहनाया जाता है। इसमें वैष्णव परंपरा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल कलश को दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चंपा, पारिजात, कुंद और तुलसी हैं।
कांची या करधनी
भगवान रामलला के कमर में करधनी धारण कराई गयी है, जिसे रत्नजड़ित बनाया गया है। स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से इसका अलंकरण किया गया है। पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी छोटी पांच घंटियाँ भी इसमें लगाई गयी हैं, इन घंटियों से मोती, माणिक्य और पन्ने कि लड़ियाँ भी लटक रही हैं।
भुजबंध या अंगद
प्रभु श्री रामलला के दोनों भुजाओं में भुजबन्द पहनाये गए हैं जो स्वर्ण और रत्नों से जड़ित हैं।
कंगन
दोनों ही हाथों में रत्नजड़ित अति सुन्दर कंगन पहनाये गए हैं।
मुद्रिका
प्रभु के बाएं और दाएं दोनों हाथों कि उँगलियों में रत्नजड़ित मुद्रिकाएँ सुशोभित हैं, जिमें से मोतियों कि लड़ियाँ लटक रही हैं।
पैरों में छड़ा और पैंजनियां
श्री रामलला के दोनों पैरों में छड़ा और पैंजनियां पहनाई गयी हैं, जिनमें मोती, माणिक्य और पन्ने कि लटकने लगी हैं, इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाण धारण कराया गया है।
गर्दन
प्रभु श्री रामलला के गले में फूलों कि आकृतियों वाली वनमाला धारण कराई गयी है, जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमञ्जरी संस्था ने किया है।
मस्तक
श्री रामलला के मस्तक पर पारम्परिक रामानंदी मंगल तिलक को हीरे और माणिक से रचा गया है।
चरण कमल
भगवान के चरण के निचे कमल सुशोभित है, उसके निचे एक स्वर्णमाला सजाई गयी है।
खिलौने
अयोध्या के भव्य मंदिर में चूँकि रामलला के पांच वर्षीया विग्रह को स्थापित किया गया है इसीलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गए हैं। इनमें झुनझुना, हाथी, घोड़े, ऊंट, खिलौनागाड़ी तथा लट्टू शामिल हैं।
छत्र
श्री रामलला के प्रभा-मंडल के ऊपर सोने का छत्र सुशोभित है।
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