झारखण्ड के वो 14 विधायक जो कर सकते हैं झारखण्ड की राजनीती में बड़ा उलटफेर : झारखंड पॉलिटिक्स
कांग्रेस के 12 विधायकों समेत झामुमो के 2 असंतुष्ट विधायक बिगाड़ सकते हैं झारखण्ड सरकार का खेल
राज्य कांग्रेस नेतृत्व की हर कोशिश हुयी बेकार
नाराज कांग्रेस विधायकों ने दिल्ली में डाला डेरा
बैधनाथ राम सहित सीता सोरेन दिखा रहे हैं उग्र तेवर
डैमेज कण्ट्रोल की कोशिश में दिल्ली पहुंचे चम्पाई
किसे पता था की झारखण्ड सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार राज्य सरकार का संतुलन बनाने के बजाये इसे अस्थिर बना डालेगा। नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण करते ही चम्पाई सरकार पर ग्रहण लगना शुरू हो गया है। राज्य में ये खबरें गर्दिश कर रही हैं की कांग्रेस के 12 विधायकों और झामुमो के 2 विधायक इस मंत्रिमंडल में जगह ना पाने और पुराने मंत्रियों को फिर से शपथ दिलाने को लेकर खासे नाराज चल रहे हैं। शपथ ग्रहण के दिन ही कांग्रेस के इन विधायकों ने रांची के एक होटल में गंभीर मंत्रणा की थी और अपने विचारों से राज्य कांग्रेस नेतृत्व को अवगत करा दिया था मगर कोई करवाई या आश्वासन प्राप्त ना होने पर कांग्रेस के ये नाराज विधायक दिल्ली चले गए हैं। चम्पाई सरकार को ख़तरा सिर्फ कांग्रेस के विधायकों से नहीं है झामुमों के दो विधायक जिनमे बैजनाथ राम और सीता सोरेन शामिल हैं ने भी सरकार के विरुद्ध बगावती तेवर दिखा दिया है। कांग्रेस के इन विधायकों समेत झामुमो के दो विधायक जिन्होंने नए सिरे से चम्पाई सरकार के विरुद्ध विरोध का स्वर बुलंद किया है उनके बारे में पूरा देश जानना चाहता है इसी कड़ी में पॉलिटिक्स झारखंड आपको इन सभी विधायकों की विस्तृत जानकारी दे रहा है।
लातेहार विधायक बैधनाथ राम
वर्तमान में लातेहार निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बैद्यनाथ राम, लातेहार शहर के शहीद चौक स्थित धोबी मोहल्ले के निवासी हैं। 1967 में लातेहार के परसही गांव में जन्मे बैधनाथ राम ने साल 2000 में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टिकट पर पहली बार लोहरदगा सीट विधानसभा चुनाव जीता और राज्य के खेल मंत्री बनें। इसके बाद वो मद्य निषेध मंत्री और फिर स्वास्थ्य मंत्री भी बनाये गये। 2019 में ये झामुमों के टिकट पर चुनाव लड़े और बीजेपी के प्रकाश राम को हराकर ये सीट अपने नाम की। कभी राज्य के शिक्षा मंत्री रहे बैधनाथ राम का चम्पाई सरकार में भी मंत्री पद पक्का हो चुका था मगर किसी कारणवश इन्हे ऐन मौके पर बैरंग लौटा दिया गया। बैधनाथ राम ने चम्पाई सोरेन सहित झामुमो नेतृत्व को दो दिनों का अल्टीमेटम दिया है, इनका कहना है की अगर इन्हे मंत्री नहीं बनाया गया तो ये विधायकी छोड़ने पर विचार कर सकते हैं।
जामा विधायक सीता सोरेन
झामुमो के टिकट पर जामा विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार विधायक चुनी गयी सीता सोरेन विधायक के अलावा सोरेन परिवार की बड़ी बहु भी हैं। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक रहे दुर्गा सोरेन जो शिबू सोरेन के बड़े बेटे थे उनकी पत्नी सीता सोरेन झामुमो की कद्दावर नेत्रियों में से एक हैं। जब राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार थी तब भी यदा-कदा सीता सोरेन अपने बगावती तेवर के कारण मीडिया की सुर्ख़ियों में बनी रहती थी। राजनितिक हलकों में इस बात की भी चर्चा थी की जब जेल जाने से पूर्व हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री पद सौंपने की ताक में थे, तो दुर्गा सोरेन के विरोध के कारण ही उन्हें चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा। चम्पाई सोरेन मंत्रिमंडल के विस्तार से पूर्व सीता सोरेन को मंत्री बनाये जाने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इससे नाराज सीता सोरेन ने खुल कर अपनी नाराजगी जताई है और माना जा रहा है की इनकी नाराजगी दूर नहीं किये जाने पर इनके कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के साथ मिल कर सरकार को अस्थिर करने के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता।
जामताड़ा विधायक इरफ़ान अंसारी
कांग्रेस की टिकट पर जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक इरफ़ान अंसारी कांग्रेस के उन विधायकों में शामिल हैं जो अपने अजीबोगरीब बयान और कार्यों के कारण हमेशा सुर्ख़ियों में रहते हैं। इरफ़ान अंसारी का जन्म 17 जनवरी 1975 को देवघर के मधुपुर में हुआ, इनके पिता फुरकान अंसारी का नाम झारखण्ड के कद्दावर नेताओं में शुमार है इस तरह हम कह सकते हैं की इरफान अंसारी को सियासत विरासत में मिली है. फुरकान अंसारी 1980 से 2004 तक 5 बार जामताड़ा के विधायक रह चुके हैं साथ ही 14 वीं लोकसभा में इन्होने गोड्डा से एमपी का चुनाव भी जीता था। इरफान अंसारी जामताड़ा से लगातार दो बार विधायक चुने गए हैं। इससे पहले कोलकाता में अपनी कार में बड़ी नगद राशि मिलने के कारण ये ख़बरों में आये थे और उसके बाद अपने दो साथी विधायकों के साथ ये कांग्रेस से निलंबित भी कर दिए गए थे। हेमंत सोरेन के जेल जाने से पहले इनकी हेमंत सोरेन से गले लग कर रोने की वीडियो भी खूब वायरल हुयी थी। बताया जा रहा है की इरफ़ान अंसारी मंत्री पद ना मिलने और पुराने मंत्रियों को फिर से मंत्री बनाये जाने से बेहद नाराज हैं और वो असंतुष्ट विधायकों का एक तरह से नेतृत्व भी कर रहे हैं।
महगामा विधायक दीपिका पांडेय
दीपिका पांडेय सिंह झारखण्ड के महगामा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। साल 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में जीती 10 महिला विधायकों में से दीपिका पांडेय सिंह एक हैं। चुनावी हलफनामे के आधार पर वो झारखण्ड की महिला विधायकों में सबसे अमीर विधायक हैं। महगामा विधानसभा क्षेत्र से पहली बार चुन कर आयी दीपिका पांडेय सिंह झारखण्ड के कुछ बेहद मुखर विधायकों में से एक हैं जो जनता के समसामयिक मुद्दों पर हमेशा आवाज उठाती दिखाई देती हैं। दीपिका पांडेय सिंह को भी बचपन से राजनीती की शिक्षा मिली है। उनके पिता और माता दोनों कांग्रेस के चर्चित नेताओं में से थे। वहीँ उनके ससुर बिहार सरकार में कृषि मंत्री रहे अवध बिहारी सिंह हैं। दीपिका की माता श्रीमती प्रतिभा पांडेय झारखंड कांग्रेस की तेज-तर्रार नेत्री थी जो बाद में भाजपा में शामिल हो गयी। विधायक दीपिका पांडेय सिंह के पति रत्नेश सिंह टाटा स्टील में इंजीनियर हैं। दीपिका पांडेय सिंह गोड्डा कांग्रेस की जिला अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। व्यापक राजनितिक विरासत और अनुभव के आधार पर दीपिका पांडेय सिंह इस बार मंत्रिमंडल में जगह पाने को लेकर बेहद आश्वस्त थीं लेकिन अंतिम समय तक जगह ना मिलने से उनकी नाराजगी खुल कर सामने आ गयी है। आलाकमान से मिलने दिल्ली गए गुट में दीपिका पांडेय सिंह भी शामिल हैं।
बरही विधायक उमाशकर अकेला
उमाशंकर अकेला वर्तमान में बरही विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उमाशंकर अकेला पिछली बार भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन 2019 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। बरही विधायक उमाशंकर अकेला झारखण्ड के पुराने राजनेताओं में से एक हैं। यादव जाती से सम्बन्ध रखने वाले उमाशंकर अकेला मंत्रिमंडल विस्तार से पहले लगातार खुद को यादवों का बड़ा नेता बताते हुए मंत्री पद देने की वकालत कर रहे थे लेकिन उनकी दाल नहीं गल पायी। इससे पहले भी उमाशंकर अकेला अपनी नाराजगी कई बार जता चुके हैं लेकिन बार बार आलाकमान इन्हे संतावना देकर शांत करने में कामयाब हो जाता है। इस बार असंतुष्ट विधायकों में उमाशंकर अकेला काफी मुखरता से मंत्री पद ना मिलने का विरोध जताते हुए दिखाई दे रहे हैं।12 विधायकों के गुट के साथ ये भी दिल्ली पहुंचे हैं देखना दिलचस्प होगा की क्या इस बार भी कांग्रेस आलाकमान उन्हें सिर्फ आश्वासन देता है या सच में उन्हें मंत्री पद से नवाजा जाता है।
मनिका विधायक रामचंद्र सिंह
मनिका विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे रामचंद्र सिंह भी असंतुष्ट 12 विधायकों के गुट में शामिल हैं। रामचंद्र सिंह ने अपनी राजनितिक जीवन की शुरुआत राजद से की। वो पहली बार 1995 में राजद के टिकट पर विधायक का चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2005 में उन्हें फिर से राजद के टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचने का मौका मिला, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदला और राजद छोड़ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल हुए। रामचंद्र सिंह तीन बार के विधायक हैं और इस नाते अपनी राजनितिक अनुभव के बल पर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलने की पूरी उम्मीद थी लेकिन सारी उम्मीद धरी की धरी रह गयी। अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए रामचंद्र सिंह ने विरोध का स्वर तेज करते हुए असंतुष्ट विधायकों के साथ मंत्रणा की। हालांकि दिल्ली जाने वाले विधायकों की पहली खेप में रामचंद्र सिंह शामिल नहीं थे लेकिन उन्होंने मीडिया से कहा की वो कल जरूर दिल्ली जा कर आलाकमान से मुलाक़ात करेंगे।
झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह
झरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुन कर आयी विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह राज्य में महिलाओं और क्षेत्रवासियों की समस्याओं के लिए निरंतर आवाज उठाने वाली महिला नेत्री हैं। ये अक्सर विधानसभा में क्षेत्र की समस्याओं को मुखरता से उठाती आयी हैं। धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता स्वर्गीय नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह का जन्म 21 नवंबर 1985 को उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में हुआ था। पति की अकस्मात् मृत्यु के बाद उन्होंने राजनीती में प्रवेश किया और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। विधायक बनने के बाद से ही ये अपने क्षेत्र की जनता की हर समस्याओं में उनकी साझेदार रही हैं। पूर्णिमा नीरज सिंह ने हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद खुल कर नाराजगी जाहिर नहीं की है ना ही वो असंतुष्ट विधायकों की रांची में हुयी बैठक में शामिल थीं। इसके पीछे उनके किसी पारिवारिक सदस्य के स्वास्थय सम्बन्धी परेशानी भी बतायी जा रही है। बावजूद इसके, पुराने मंत्रियों को फिर से शपथ दिलाये जाने से वो बेहद नाराज है और, आलाकमान से इस निर्णय पर फिर से विचार करने की गुहार लगा रही हैं।
कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी
कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी एक युवा और तेज तर्रार नेता हैं। साल 2018 में नमन विक्सल कोंगाड़ी पहली बार कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव में भाजपा के बसंत सोरेंग को हराकर विधायक बने थे। वहीँ 2019 में संपन्न हुयी विधानसभा चुनाव में भी नमन एक बार फिर से भाजपा के सुजन मुंडा को हराकर दोबारा विधायक बनने में कामयाब हुए। नमन विक्सल कोंगाड़ी इससे पहले इरफ़ान अंसारी और राजेश कच्छप के साथ कैश काण्ड में सुर्ख़ियों में छाये थे। इस मामले में इन तीनों विधायकों पर अनुशासनात्मक करवाई भी हुयी थी और दोनों विधायकों समेत नमन भी कांग्रेस से निलंबित कर दिए गए थे। एक बार फिर मंत्री ना बन पाने की वजह से अपने विरोध के कारण नमन विक्सल कोंगाड़ी ख़बरों में हैं। नमन 12 असन्तुष्ट विधायकों के गुट में शामिल हैं। दिल्ली जाने वाली पहली खेप में नमन भी नहीं थे हालांकि उन्होंने बताया की उनकी तबियत खराब है और दिल्ली ना जाने का मतलब ये कतई नहीं की वो मंत्री पद ना मिलने से नाराज नहीं हैं।
माण्डर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की
झारखण्ड के माण्डर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर विधायक चुनी गयी शिल्पी नेहा तिर्की को भी राजनीती के गुर विरासत में मिले हैं। शिल्पी नेहा तिर्की कद्दावर कांग्रेस नेता बंधू तिर्की की सुपुत्री हैं। एक केस में अपनी विधायकी गवाने के बाद बंधू तिर्की ने माण्डर विधानसभा क्षेत्र की कमान अपनी पुत्री के हाथों में सौंप दी। उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज कर शिल्पी नेहा तिर्की विधानसभा पहुँच गयी। पिता की राजनितिक विरासत और पहुँच की बदौलत शिल्पी मंत्रिमंडल में जगह पाने को लेकर काफी आश्वस्त थी लेकिन नाम फाइनल नहीं होने पर उन्होंने काफी तल्ख़ तेवर के साथ असंतुष्ट विधायकों के साथ मंत्रणा की। अब शिल्पी नेहा तिर्की मंत्रिमंडल में जगह ना मिलने से खफा हैं या पुराने मंत्रियों को रिपीट करने पर, ये तो वही जाने लेकिन उनका गुस्सा अब भी कम नहीं हुआ है। शिल्पी नेहा तिर्की दिल्ली गए विधायकों के गुट में शामिल हैं और उनके इस विरोध का क्या असर होगा ये तो उनके लौटने पर ही पता चल पायेगा।
बड़कागांव विधायक अम्बा प्रसाद
कभी घोड़े पर सवार होकर विधनसभा पहुंची अम्बा प्रसाद को पूरा यकीन था की इस बार विधानसभा में वो मंत्री की गाडी से ही आएँगी लेकिन चम्पाई सोरेन के मंत्रिमंडल में जगह पक्की ना होने पर इन्होने भी मुखर होकर आवाज उठायी है और आलाकामान समेत राज्य कांग्रेस नेतृत्व से अपनी नाराजगी जाहिर की है। अम्बा प्रसाद बड़कागांव विधानसभा सीट से मात्र 27 साल की उम्र में चुनाव जीतकर वर्ष 2019 में सबसे कम उम्र की विधायक बनने का इतिहास रचा था। उन्होंने आजसू पार्टी के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को तकरीबन 30,000 वोटों से हराया था। माना जा रहा है की मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान ना मिलने से अम्बा प्रसाद भी असंतुष्ट विधायकों के गुट में शामिल हो गयी हैं और इन्होने भी दिल्ली का रुख किया है।
बेरमो विधायक कुमार जयमंगल
बेरमो विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए कुमार जयमंगल उर्फ़ अनूप सिंह कद्दावर कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक स्वर्गीय राजेंद्र सिंह के पुत्र हैं। राजनीती का दांवपेच इन्हे भलीभांति पता है। पिता राजेंद्र सिंह के निधन से खाली हुयी सीट पर कुमार जयमंगल सिंह को टिकट मिला और इन्होने उपचुनाव जीत कर ये साबित भी कर दिया की पिता की राजनितिक विरासत के वे ही असली उत्तराधिकारी हैं। कुमार जयमंगल सिंह का विवादों से पुराना नाता है, बताते चले की कांग्रेस के तीन विधायक जो कोलकाता में कैश काण्ड में फसे थे उनपर एफआईआर कुमार जयमंगल सिंह ने ही किया था। कभी इरफ़ान अंसारी से कटे कटे रहने वाले अनूप सिंह मंत्रिमंडल विस्तार के बाद उपजे विवाद में इरफ़ान अंसारी के बगल वाली सीट पर बैठे दिखाई दिए। कुमार जयमंगल असंतुष्ट विधायकों में काफी मुखर और खुल कर बात करने वाले विधायक हैं। उनकी नाराजगी क्या उन्हें मंत्री पद दिला पाती है या वर्तमान कांग्रेस कोटे के मंत्रियों की कुर्सी हिला पाती है ये देखना दिलचस्प होगा।
खिजरी विधायक राजेश कच्छप
राजधानी रांची के खिजरी विधानसभा क्षेत्र से कॉंग्रेस की टिकट पर चुन कर आये विधायक राजेश कच्छप यूँ तो अपने मिलनसार और नम्र व्यवहार के कारण जाने जाते हैं लेकिन हालिया हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद वो काफी तल्ख़ और उग्र तेवर के साथ सामने आये हैं। कांग्रेस कोटे से फिर से मंत्री बनाये गए अपने ही दल के विधायकों पर गहरी नाराजगी जताते हुए राजेश कच्छप कांग्रेस आलाकमान से मिलने दिल्ली जा पहुंचे हैं। रांची में हुयी असंतुष्ट विधायकों की बैठक में राजेश कच्छप भी शामिल थे।
सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा तिर्की
सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र से विधायक भूषण बाड़ा तिर्की कांग्रेस के उन विधायकों में शामिल हैं जो मंत्रिमंडल विस्तार के बाद शुरू हुए विवाद में अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। विधायक भूषण बाड़ा 2019 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुन कर विधानसभा में आएं हैं।
जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिंकू
जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से साल 2019 में चुन कर आये कॉंग्रेसी विधायक सोनाराम सिंकू भी असंतुष्ट विधायकों के पाले में दिखाई दे रहे हैं। वैसे सोनाराम सिंकू को पार्टी के नीति नियमों पर चलने वाला ही माना जाता है लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ये अपनी नाराजगी पर काबू नहीं रख पाए और अब आलाकमान को अपने इरादे स्पष्टता से जाहिर कर चुके हैं
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