झारखण्ड में कहाँ कहाँ है Pap smear test कि सुविधा ? जानें सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने में कैसे सहायक है ये टेस्ट।
झारखण्ड में सर्वाइकल कैंसर के मरीजों की बढ़ रही है संख्या, जाने इसके प्रारंभिक लक्षण
- भारत में प्रतिवर्ष 80,000 जानें लेता है सर्वाइकल कैंसर
- प्रारंभिक दौर में सर्वाइकल कैंसर का इलाज संभव
- इलाज में देरी से हो सकता है गंभीर नुक्सान
- 35 - 44 साल की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा ज्यादा
क्या है सर्वाइकल कैंसर ?महिलाओं में गर्भाशय का मुख जिसे हम सामान्यतः ग्रीवा कहते हैं, इसे अंग्रेजी में cervix अथवा cervix of uterus या cervix uteri भी कहा जाता है की परत में जब असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि हो जाती है तब इसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। गर्भाशय वो स्थान है जहां बच्चा पलता है, उसके मुख जिससे वीर्य में स्थित शुक्राणु गर्भाशय के अंदर जाते हैं ग्रीवा कहलाता है, सर्वाइकल कैंसर को मुख्यतः दो प्रकार हैं पहला और सबसे आम है स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, जो जांच किये गए 70% मामलों में पाया जाता है, वहीँ एडेनोकार्सिनोमा कम पाया जाने वाला प्रकार है जो जांच किये गए लगभग 25% मामलों में ही पाया जाता है। एडेनोकार्सिनोमा का उपचार अधिक मुश्किल है क्योंकि यह गर्भाशय ग्रीवा में ऊपर की तरफ से शुरू होता है।
क्या है सर्वाइकल कैंसर ?
महिलाओं में गर्भाशय का मुख जिसे हम सामान्यतः ग्रीवा कहते हैं, इसे अंग्रेजी में cervix अथवा cervix of uterus या cervix uteri भी कहा जाता है की परत में जब असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि हो जाती है तब इसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। गर्भाशय वो स्थान है जहां बच्चा पलता है, उसके मुख जिससे वीर्य में स्थित शुक्राणु गर्भाशय के अंदर जाते हैं ग्रीवा कहलाता है, सर्वाइकल कैंसर को मुख्यतः दो प्रकार हैं पहला और सबसे आम है स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, जो जांच किये गए 70% मामलों में पाया जाता है, वहीँ एडेनोकार्सिनोमा कम पाया जाने वाला प्रकार है जो जांच किये गए लगभग 25% मामलों में ही पाया जाता है। एडेनोकार्सिनोमा का उपचार अधिक मुश्किल है क्योंकि यह गर्भाशय ग्रीवा में ऊपर की तरफ से शुरू होता है।
झारखण्ड में संक्रमण दर है ज्यादा
मुश्किल भौगोलीक हालात और कम शिक्षा दर झारखण्ड में ज्यादा तेजी से फैलते सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण है। हालांकि पिछले कुछ समय से सरकार द्वारा इसे लेकर काफी जागरूकता और जांच कैंप चलाये गए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के कुछ अवसर ग्रामीणों को जरूर सुलभ हैं लेकिन सर्वाइकल कैंसर जैसी घातक बिमारी के लिए स्क्रीनिंग या जांच की व्यवस्था ग्रामीण इलाकों में अब भी जरुरत से काफी कम है। सर्वाइकल कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को लेकर ग्रामीण महिलाओं में जागरूकता फैलाने की जरुरत है जिससे ग्रामीण महिलाएं भी इस बिमारी के प्रति संवेदनशील रुख अख्तियार करें
सर्वाइकल कैंसर के इन लक्षणों और संकेतों को ना करें नजरअंदाज
यूँ तो ग्रीवा की कोशिकाओं या परत में कैंसर से पहले की अवस्था के कम ही लक्षण पाएं जाते हैं इसलिए ये सुनिश्चित करने के लिए की ग्रीवा की असामान्य कोशिका कैंसर कोशिका ही है सर्वाइकल स्क्रीनिंग जांच कराना बेहद जरुरी है, वैसे कुछ आम लक्षण हैं जो ग्रीवा के कैंसर में शुरूआती कोशिका परिवर्तन का संकेत देते हैं, इनमें प्रमुख हैं :-
- माहवारी के चक्र के बीच में योनि से रक्त का आना
- माहवारी के समय सामान्य से अधिक लंबा या ज्यादा रक्त का आना
- शारीरिक सम्बन्ध बनाने के समय दर्द का होना
- शारीरिक सम्बन्ध या संभोग के बाद योनि से रक्त आना
- पेडू में दर्द उठना
- आपके योनि से होने वाले स्राव में बदलाव जैसे अधिक तरल आना या इसमें से काफी तेज़ और असामान्य रंग या गंध का होना
- रजोनिवृत्ति के बाद योनि से रक्त आना
ऐसा जरुरी नहीं की यदि आपमें ये लक्षण है तो आप सर्वाइकल कैंसर के शिकार हो गए हैं, ध्यान दीजिये की इन सभी लक्षणों के अन्य कारण भी हो सकते हैं। मगर वो कहावत है ना और 'बिमारी से भला परहेज'। तो आप बिलकुल चिंता मत कीजिये और तत्काल नजदीकी डॉक्टर से मिल कर अपनी शंका दूर कीजिये। उम्र को लेकर अधिक सोचने की जरुरत नहीं है क्योंकि एक बार सर्वाइकल स्क्रीनिंग करा कर आप व्यर्थ की चिंताओं और शंकाओं से निजात पा सकते हैं
कैसे होता है सर्वाइकल कैंसर
अगर आपके शरीर में भी गर्भाशय ग्रीवा है, चाहें आप ट्रांसजेंडर हों उभयलिंगी हो या एक साधारण महिला और आपने HPV टीकाकरण नहीं करवाया है तो आप सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित हो सकते हैं। 30 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिला को इस कैंसर का खतरा होता है। ये ह्यूमन पेपीलोमावायरस के संक्रमण से होता है। ह्यूमन पेपीलोमावायरस सामान्य सम्भोग या यौन क्रिया के द्वारा एक इंसान से दूसरे में फैलता है। ह्यूमन पेपीलोमावायरस से ग्रस्त होना अलग बात है और जब ह्यूमन पेपीलोमावायरस से संक्रमित होने के कारण गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य कोशिकाओं का सृजन होना ही सर्वाइकल कैंसर है। आम ह्यूमन पेपीलोमावायरस संक्रमण प्रायः कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन लम्बे समय तक चलने वाले संक्रमण से सर्वाइकल कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है।
पैप स्मीयर टेस्ट क्या है ?
पैप स्मीयर टेस्ट एक तरह की जांच हैं, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा की कोशिका निकाल कर उसकी जांच होती है। पैप टेस्ट करने के लिए आपके चिकित्सक या लैब तकनीशियन स्पेकुलम नामक यंत्र को योनि में डालते हैं। जब सर्विक्स नजर आने लगता है तो वहां से स्पेकुलम यन्त्र की मदद से कोशिकाओं के कुछ नमूनें ले लिए जाते हैं। नमूनों को माइक्रोस्कोप की मदद से जांचा जाता है और कोशिकाओं में किसी भी प्रकार की असामान्यता की पड़ताल की जाती है। कोशिकाओं में कैंसर की पुष्टि होने पर डॉक्टर तय प्रक्रिया के आधार पर आगे की चिकित्सा करते हैं।
क्या पैप स्मीयर टेस्ट एक तकलीफदेह प्रक्रिया है ?
जी नहीं, पैप स्मीयर टेस्ट के दौरान मरीज को दर्द बिलकुल नहीं होता। हाँ आपको थोड़ी असहजता महसूस हो सकती है। कोशिकाओं के नमूने लेने के दौरान ये असहजता स्वाभाविक है मगर ये प्रक्रिया तकलीफदेह बिलकुल भी नहीं है। पैप स्मीयर टेस्ट ना तो ज्यादा समय लेता है और ना बहुत जटिल है। ये एक आसान प्रक्रिया है जिसे आप नजदीक के हर उस अस्पताल में करा सकती हैं जहां ये सुविधा उपलब्ध है।
पैप स्मीयर टेस्ट कैंसर को डिटेक्ट करने में कितनी कारगर है ?
पैप स्मीयर टेस्ट की रिपोर्ट से चिकित्सक को आपके गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर कोशिकाओं या उन असामान्य कोशिकाओं जिनसे भविष्य में कैंसर उत्पन्न हो सकता है के होने या ना होने का प्रमाण मिलता है। ये पता लगाना काफी आसान हो जाता है की संक्रमण कैंसर में बदल चुका है या नहीं। पैप स्मीयर टेस्ट की मदद से लाखों मरीजों में कैंसर के शुरूआती चरण का पता लगा कर उनकी जिंदगी बचाई जा सकी है।
झारखण्ड में कहाँ होता है पैप स्मीयर टेस्ट ?
झारखण्ड की राजधानी रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान के अलावा सदर अस्पताल रांची में पैप स्मीयर टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। अलग अलग जिले के सदर अस्पतालों और बड़े अस्पतालों में भी इसकी सुविधा है। इसके अलावा ढेरों निजी महिला रोग अस्पतालों में पैप स्मीयर टेस्ट किया जाता है। यहां एक बात ध्यान देने योग्य है की पैप स्मीयर टेस्ट बिना चिकित्सक की सलाह के ना कराएं। एक चिकिसक आपके स्वास्थय और स्वस्थ्य सम्बन्धी जांचों का सही फैसला कर सकता है।
यदि दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण आपको काफी समय से नजर आ रहा है तो नजदीक के महिला रोग विशेषज्ञ से तत्काल मिलें। सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए सहवास के समय यौन सुरक्षा के साधनों का प्रयोग करें, स्वयं और अपने पार्टनर के यौन अंगों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। माहवारी के दौरान आम कपड़ों के इस्तेमाल से बचें एवं सैनिटरी पेड का अवश्य इस्तेमाल करें। सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ भारत की मुहीम को निर्णायक गति देते हुए इस अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने 9 से 14 साल की बच्चियों को मुफ्त HPV वैक्सीन लगाने की घोषणा की है। बहरहाल जब तक ये घोषणा साकार रूप लेती है यदि आप सक्षम हैं तो अपनी बच्चियों को चिकित्सक की सलाह पर HPV वैक्सीन जरूर लगवाएं।
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