सीता ने थामा कमल तो जेपी भाई पटेल ने दिखाया पंजा, लोकसभा चुनाव से पहले जारी है पाला बदलने का सिलसिला
इंडिया गठबंधन को मिला कुर्मी जाती के जनाधार वाला नेता, जेपी पटेल लड़ सकते हैं लोकसभा का चुनाव
नई दिल्ली में जेपी भाई पटेल ने कांग्रेस का दामन थामा
आलमगीर आलम और राजेश ठाकुर की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हुए जेपी पटेल
हजारीबाग सीट से लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव
सीता और गीता के जाने के बाद इंडिया गठबंधन ने भी दिखाया सियासी दम
भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए जय प्रकाश भाई पटेल
झारखण्ड में सियासी उठापठक ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है, मौके की नजाकत को भांपते हुए सूबे के कद्दावर नेता सियासी सुविधा के हिसाब से पाला बदल रहे हैं। अभी सूबे की राजनीती गीता कोड़ा और सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने की ख़बरों से उबार ही रही थी की ताजा घटनाक्रम में भाजपा के मांडू से विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने अचानक भाजपा छोड़ कर सबको चौंका दिया। दोपहर में उन्होंने कांग्रेस के नेता और झारखण्ड सर्कार के वरिष्ठ मंत्री आलमगीर आलम और झारखण्ड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर समेत अन्य कोंग्रेसी नेताओं की उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्यता ली। अपने हरे गमछे के लिए प्रसिद्ध जेपी भाई पटेल ने भाजपा से त्यागपत्र दे कर सूबे के चालीस सीटें जीतने का दम भर रहे भाजपा के नेताओं के चेहरे की हरियाली छीन ली।
जयप्रकाश भाई पटेल का राजनितिक सफर
हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ में सन 1982 में जन्में जयप्रकाश भाई पटेल की स्कूली शिक्षा धनबाद के शक्ति नाथ स्कूल से हुई है। स्वर्गीय टेकलाल महतो के पुत्र जयप्रकाश भाई पटेल 2011 में अपने पिता टेकलाल महतो के निधन के बाद सक्रिय राजनीती में आये। स्वर्गीय टेकलाल महतो मांडू से विधायक और गिरिडीह के सासंद भी रह चुके थे। 2011 में टेकलाल महतो के निधन के बाद हुए उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन्हें मांडू सीट से अपना उम्मीदवार बनाया और उम्मीदों पर खड़ा उतरते हुए जयप्रकाश भाई पटेल चुनाव जीत भी गए। पुनः साल 2013 में उन्हें झारखण्ड सरकार में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री भी बनाया गया। एक बार फिर 2014 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन पर भरोसा जताया और जयप्रकाश भाई पटेल मांडू विधानसभा से चुनाव लड़ कर विधायक बन सदन तक पहुंचे। 2019 के लोकसभा चुनाव आते ही जयप्रकाश भाई पटेल ने अपने पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया और भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में खुलकर बोलते नजर आए। हार कर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने इन्हें निष्कासित कर दिया और जेपी पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया। एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होते ही अप्रत्याशित रूप से जेपी पटेल बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस के खेमे में शामिल हो चुके हैं अब आगे देखना दिलचस्प होगा की कांग्रेस जेपी पटेल को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाती है या नहीं।
हजारीबाग से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं जेपी पटेल
सूत्रों की मानें तो जेपी पटेल झारखण्ड की राजनीती से प्रोन्नत होकर देश की राजनीती करने का मन बना चुके हैं, भाजपा में प्रत्याशियों की भारी भीड़ देखते हुए इन्हे लोकसभा का टिकट मिलने की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही थी। इंडी गठबंधन में चल रही चर्चा के हिसाब से सूबे की हजारीबाग लोकसभा की सीट कांग्रेस के खाते में जाती दिखाई दे रही है ऐसे में जेपी भाई पटेल ने मौके पर चौका मारते हुए कांग्रेस का रुख किया वरना शायद झारखण्ड मुक्ति मोर्चा उनकी पहली पसंद होती।
जेपी पटेल के आने से कांग्रेसी विधायकों का स्वपन हुआ धूमिल
जेपी पटेल के कांग्रेस में शामिल होते ही कांग्रेस के कई विधायकों का स्वपन चकनाचूर होता दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही कांग्रेस के कई विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ने की जुगत में थे। बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद हजारीबाग लोकसभा सीट पर नजरे गराये हुयी थी। भाजपा के निवर्तमान संसद जयंत सिन्हा के चुनाव लड़ने से इंकार करने की खबर आते ही भाजपा की ये सेफ सीट विपक्षी गठबंधन को लुभाने लगी थी। जेपी पटेल के कांग्रेस में शामिल होने से लोकसभा प्रत्याशी के लिए चल रहे अफवाहों के बाजार को विराम लगने की उम्मीद है, लेकिन जिन विधायकों के महत्वाकांक्षा पर वज्रपात हुआ है वो यूँ ही शांत बैठेंगे इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है।
हजारीबाग लोकसभा की भिड़ंत हुयी रोमांचक
हजारीबाग विगत कई लोकसभा चुनाव से भाजपा की परम्परागत सीट रही है, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, उनके पुत्र जयंत सिन्हा कई बार इस सीट पर भाजपा का परचम लहरा चुके हैं। जयंत सिन्हा के राजनीती से किनारा करने के बाद भाजपा ने इस बार हजारीबाग के विधायक मनीष जायसवाल को अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया है। माना जा रहा था की मनीष जायसवाल को हजारीबाग का किला फतह करने में कोई बड़ी परेशानी आड़े नहीं आएगी लेकिन जेपी पटेल के भाजपा छोड़ने से हजारीबाग लोकसभा की लड़ाई रोमांचक हो गयी है। हजारीबाग लोकसभा में कुर्मी जाती की अच्छी खासी आबादी है, उसपर जनजातीय और महतो वोट इंडी गठबंधन के पक्ष में जाने से मनीष जायसवाल को परेशानी हो सकती है। भाजपा भले ही जेपी पटेल के जाने से कोई फर्क ना पड़ने की बात कह रही है मगर ये भी हो सकता है की कांटे की लड़ाई में इस बार हजारीबाग के लोकसभा चुनाव का नतीजा राजनितिक विश्लेषकों को चौंका दे।